
“श्रावण मास—जब प्रकृति तपस्विनी बन जाती है और भक्ति, साधना एवं शुद्धता का पर्व हर हृदय में गूंजता है।”
सावन के प्रथम सोमवार के पावन अवसर पर राजभवन, उत्तराखण्ड में एक दिव्य आध्यात्मिक अनुष्ठान सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर माननीय उत्तराखंड के राज्यपाल माननीय राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) जी एवं उनके परिवारजनों के साथ देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति,
आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी
की गरिमामयी उपस्थिति में गायत्री यज्ञ सम्पन्न हुआ।
यह यज्ञ भारतीय संस्कृति की उस दिव्य परंपरा का प्रतीक रहा, जहाँ राजशक्ति और धर्मशक्ति समाज के कल्याण हेतु एक साथ संकल्पित होती हैं।
पूज्य गुरुदेव पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने श्रावण मास के संदर्भ में कहा है—
“श्रावण आत्मा को पावन करने का काल है। यह तप, साधना और सेवा का विशेष अवसर है, जिसमें किया गया प्रत्येक आध्यात्मिक प्रयास कई गुना फलदायी होता है।”
आदरणीय डॉ. पंड्या जी द्वारा की गई मंत्रपूर्ति और गायत्री महामंत्रों की सामूहिक साधना ने सम्पूर्ण वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा एवं शांति से भर दिया।
यह आयोजन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, अपितु जीवन में साधना, संस्कार और सेवा की पुनः प्रतिष्ठा का पावन प्रयास था।