
तकनीक के युग में नैतिकता की जरूरत: डॉ. चिन्मय पंड्या ने साझा राष्ट्रीय मंच पर साझा किए अपने विचार
देशभर में नैतिक मूल्यों और वैज्ञानिक अध्यात्म के संवर्धन के लिए समर्पित अखिल विश्व गायत्री परिवार के युवा प्रतिनिधि एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रति-कुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या ने दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा आयोजित बारहवें नानाजी स्मृति व्याख्यान में “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सामाजिक प्रभाव” विषय पर सारस्वत व्याख्यान दिया। यह महत्वपूर्ण व्याख्यान 5 अप्रैल 2025 को इंडिया हैबिटेट सेंटर, नई दिल्ली में दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा आयोजित किया गया जिसमें मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव एवं प्रोफेसर सचिन चतुर्वेदी महानिदेशक, रिसर्च एंड इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर डेवलपिंग कंट्रीज (आरआईएस) सहित देश-विदेश के कई प्रतिष्ठित शिक्षाविद, नीति-निर्माता, शोधार्थी एवं तकनीकी विशेषज्ञ मौजूद रहे।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा आस्था एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए स्थापित विशेष आयोग के एशिया क्षेत्र के आयुक्त डॉ. चिन्मय पंड्या ने अपने संबोधन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की नैतिकता, तकनीकी विकास और सामाजिक प्रभावों पर चर्चा करते हुए इस बात पर प्रकाश डाला कि AI के बढ़ते प्रयोग से समाज की संरचना कैसे बदल रही है, मानव मूल्यों पर इसका क्या असर पड़ रहा है और इसे संतुलित रूप से किस प्रकार उपयोग किया जाना चाहिए।
डॉ. चिन्मय पंड्या ने कहा कि हमें इस बात का विशेष ध्यान देना होगा की कहीं AI भस्मासुर न बन जाए, इस दिशा में परम पूज्य गुरुदेव का चिंतन ही समाधान है। वर्तमान में AI केवल तकनीकी क्षेत्र तक सीमित नहीं है बल्कि यह शिक्षा, चिकित्सा, उद्योग और सुरक्षा सहित अनेक क्षेत्रों में क्रांतिकारी परिवर्तन ला रहा है। हालांकि, इसके साथ ही नैतिकता, गोपनीयता, डेटा सुरक्षा तथा रोजगार पर इसके प्रभाव को लेकर कई चिंताएँ भी सामने आ रही हैं।