
हे प्रभु, जीवन हमारा यज्ञमय कर दीजिए के भाव से हजारों गायत्री साधकों ने यज्ञ भगवान को अपनी आहुतियां समर्पित की
महावीर जयंती के पावन अवसर पर राष्ट्र जागरण हेतु अहमदाबाद में 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ का आयोजन किया गया। इस गायत्री महायज्ञ में अखिल विश्व गायत्री परिवार के युवा प्रतिनिधि एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति, आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी एवं श्री रामकृष्ण मिशन, राजकोट के अध्यक्ष, स्वामी निखिलेश्वरानंद जी महाराज की गरिमामयी उपस्थिति रही।
इससे पूर्व अहमदाबाद एयरपोर्ट पर परिजनों द्वारा आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी का भाव-भरा स्वागत किया गया।
हे प्रभु, जीवन हमारा यज्ञमय कर दीजिए — सबके कल्याण की भावना से हजारों साधकों ने यज्ञ देवता को अपनी भावभरी आहुतियां समर्पित की। युग निर्माण योजना के इतिहास में यज्ञ ही वह माध्यम रहा है, जिसके सहारे नवयुग के आगमन का संदेश लोगों तक पहुंचाया गया है। प्रेम से भरे विस्तृत गायत्री परिवार का गठन एक विशाल यज्ञ आयोजन के पश्चात ही हुआ था।
इस कार्यक्रम में परम पूज्य गुरुदेव के संदेशवाहक, आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने आए हुए सभी परिजनों एवं गणमान्य अतिथियों को संबोधित करते हुए कहा कि यज्ञ एक दैवीय कार्य है। आज का दिन गहरी पुकार लेकर आया है। यहां आप सभी मात्र यज्ञ करने नहीं, बल्कि भारत एवं भारतीय संस्कृति को गढ़ने आए हैं। यह समय राष्ट्र के जागरण का है।
आगे उन्होंने कहा कि सौभाग्य उसी के जीवन में आता है, जो अवसर को पहचानने की शक्ति एवं सामर्थ्य रखता है।
तत्पश्चात आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया एवं डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने स्वामी निखिलेश्वरानंद जी को हस्तनिर्मित जूट का बैग एवं गायत्री मंत्र दुपट्टा देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम के अंतिम चरण में परम पूज्य गुरुदेव द्वारा दिए गए गीता के 18 अध्याय की तरह 18 सत्संकल्प को दोहराया गया।